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चांदुर रेल्वे पालीका का रन मैदान अब की बार किसका?

चांदुर रेल्वे :- (शहेजाद खान)





चांदुर रेल्वे नगर परिषद के चुनाव का बिगुल जैसे ही फूंका गया वैसे ही शहर के राजनितिक क्षेत्र में हड़कंप मच गया। दीपावली के मौके पर नगर परिषद के आने वाले पांच साल में कौन जादा विकास के  फटाके फोड़ेगा इसपर जनता की नजर टिकी हुई है। गौरतलब है की बीते पांच साल चांदुर रेल्वे का विकास नही होने से जनता के हात कुछ नही लगा। पुरे पांच साल आंदोलन, भ्रष्टाचार व अधिकारीयों के खिलाप आरोप प्रत्यारोप में गुजर गये. अधिकारीयों को काम करने का मौका तक नही दिया गया। अच्छे काम को संभालने वाले कांग्रेस के सत्ताधारी नगराध्यक्षा अंजली अग्रवाल को भी मजबूरन अपने पद का इस्तीफा देना पड़ा, उनके जगह एक साल के लिए अभिजीत सराड को सिंहासन दिया गया। अंजली  अग्रवाल को निकालने के लिए मुद्दा था एलएडी  लाइट का पर अंजली अग्रवाल भी उन पर हावी भरी और इस गंदी राजनीती को पहचानकर खुद ही  इस्तीफा दे दिया। सत्ताधारी कांग्रेस पालीका  चलाने में नकाम रही क्योंकि की नगराध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा। जाती समीकरण को लेकर नप की सत्ता चलाई गई। जिसके कारण विकास को रोखथाम लगी।
       उधर विपक्ष भाजपा भी अपनी भूमिका को रखने में नकाम दिखाई दी। पांचो साल सभी मुद्दों को लेकर लड़ने वाले तिसरे आघाडीके कद्दावर नेता पार्षद नितीन गवली ही लड़ते रहे। उन्होंने पुरे सरकारी व्यवस्था को हिलाकर रख दिया। घरकुल, एल.ई.डी जैसे शहर के अहम मुद्दों को लेकर नितिन गवली लड़ते रहे। किंतु ऊपरी सत्ता के कारण नितिन गवली को ख़ासा न्याय नहीं मी
मिल सका फिर भी आखरी तक गवली लड़ते रहें। और आखिर एल.ई.डी. मुद्दे को लेकर हायकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. फिलहाल यह केस हायकोर्ट में शुरू है. भाजपा कमजोर दिखाई दी। विपक्ष की भूमिका भाजपा यदि अच्छे से पार करती तो जनता के सामने आती पर ऐसा नही हुआं। केवल मोदी के नाम पर बीजेपी टिकी रही। राष्ट्रवादी के पूर्व अध्यक्ष गणेश राय ने भी पांचो साल चुप्पी साध रखी थी। शहर के विकास के लिए हर वक्त प्रयास करने वाले गणेश राय क्यों चुप रहे इसकी राजनीति अबतक किसीके परे नही आई। पांच साल तक पालीका का तमाशा देखते रहें। चर्चा यह भी है की विकास के लिए और नगर परिषद के अधिकारी कर्मचारीयों पर दबाव रखने के लिए गणेश राय की ही आवश्यकता है। यह फैसला तो अब आने वाले दिनों में जनता करेगी ।
    कांग्रेस की और में तो लाइन लगी है। विधायक जगताप अपनी कमान को बड़ी बेखूबी से निभाने वाले है। अनुभवी पेशे से  शिक्षक रहे प्रभाकर वाघ कृषि मण्डी के अध्यक्ष होने से उन्हें पहले ही पालीकासे काट दिये जाने की जानकारी मिली है. इनके अलावा अशोकभैय्या जयस्वाल, शिट्टु सूर्यवंशी, प्रफुल कोकाटे, प्रदिप वाघ भी दावा ठोक रहे है।  कांग्रेस के युवा नेता पालघर लोकसभा के इंचार्ज और ऊपरी तौर पर अपना बस जमाने वाले कर्मठ कार्यकर्ता निलेश विश्वकर्मा भी अध्यक्ष पद पर दावेदारी ठोक रहे है। पर निचली स्तर पर उन्हें टिकिट मिलना असंभव है।
      भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण भाऊ अडसड भी इस बार चांदुर रेल्वे अपने कब्जे में करने की पूरी तयारी में लगे है। पुराने कार्यकर्ता को यदि आगे किया जाये तो छोटु विश्वकर्मा ,रमेश वाट, राजीव अंबापूरे ,सुषमा खंडार का दावा सबसे पहले हो सकता है। क्योकि इनकी पहचान समूचे शहर में है। साथही शहरअध्यक्ष प्रमोद नागामोते भी अच्छी छबी के है। इन सभी में से भाजपा तो किसको आगे करेंगे यह समय ही बता सकता है। चर्चा में तो वैसे प्रमोद नागामोते आगे चल रहे है।
      तीसरी आघाडी तो नगर परिषद के खेल  की बिगाड़ी के रूप में खड़ी है। क्योकि इस आघाडी में डॉ पांडुरंग ढोले, सुमेरचंद जैन, श्री नितिन गवली जैसे बड़े शहर  के नेता है। नगराध्यक्षपद के लिए तिसरी आघाडीने श्री नितीन गवली के नाम की घोषणा कर दी है. साथ ही प्रकाश आम्बेडकर के नेतृत्व वाला भारतीय बहुजन महासंघ पक्ष,बहुजन समाज पार्टी, आरपीआय भी पालीका के मैदान में अपना तक़दीर आजमा रहे है। चुनाव की लढ़ाइ तो तिकड़ी चलने वाली है। अब देखना यह है की जनता के सामने सच्चे एजेंडा लेकर कौन आता। जैसे जैसे चुनावी दिन आगे आ रहे है नेताओकी धड़कने बढ़ने लगे है। कौन चांदुर रेल्वे नगर परिषद की गद्दी पर सवार होंगे यह तो समय बतायेंगा।

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